पदमा (हजारीबाग)।प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पदमा में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर उजागर हो गई है। शनिवार रात एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल युवक को जब सीएचसी लाया गया, तो अस्पताल में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था। मजबूरन कर्मियों ने उसे केवल ऑक्सीजन मास्क पहनाकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया, जबकि किसी प्रकार की चिकित्सकीय जांच अथवा इलाज नहीं हो सका।
सबसे गंभीर बात यह रही कि उस समय रात्रि 9:00 बजे से रविवार सुबह 9:00 बजे तक चिकित्सक ड्यूटी पर अनुपस्थित थे।यह पहली बार नहीं है जब अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई है। इससे पूर्व भी सड़क हादसे में घायल तीन मासूम बच्चों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा था, जब तक परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल नहीं पहुंचा दिया।
स्थानीय ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि पदमा सीएचसी में चिकित्सकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जाती। आए दिन डॉक्टरों की गैरहाजिरी अब आम बात हो चुकी है, जिससे जरूरतमंद मरीजों की जान दांव पर लगी रहती है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन से इस गंभीर प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
इस संबंध में जब सीएचसी प्रभारी डॉ. धीरज कुमार से रात्रि में ही बात की गई तो उन्होंने खुद ही अपनी अनुपस्थिति की पुष्टि कर दी थी, की वे इस समय परमस सीएससी अस्पताल में नहीं थे जबकि उनकी यहाँ ड्यूटी थी.
लेकिन सवाल यहीं खत्म नहीं होते। जब उनसे पूछा गया कि घायल युवक का इलाज किसने किया, तो डॉ. कुमार ने बताया कि "उसका ट्रीटमेंट कर दिया गया है", जबकि स्वयं उन्होंने स्वीकार किया कि वे ड्यूटी के दौरान हजारीबाग में थे। ऐसे में बिना डॉक्टर की मौजूदगी के आखिर इलाज किसने किया? क्या सिर्फ ऑक्सीजन मास्क लगा देना ही इलाज है? यह बात अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और खानापूर्ति को उजागर करती है।
स्थिति स्पष्ट है कि पदमा सीएचसी की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी व स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता ने इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र को उसकी मूल भूमिका से भटका दिया है। यदि शीघ्र सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा यहां कभी भी घटित हो सकता है।