हजारीबाग : प्रकृति पर्व सरहुल के अवसर पर आदिवासी समाज के द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य जुलूस निकाला गया। यह जुलूस सरना मैदान से प्रारंभ होकर पूरे शहर का भ्रमण किया। सरहुल पर्व प्रकृति की उपासना का पर्व है, जिसे आदिवासी समाज बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाता है। इस जुलूस के दौरान पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर पुरुष, महिलाएं और बच्चे नाचते-गाते नजर आए।
शहर के विभिन्न स्थानों पर समितियों एवं स्थानीय लोगों के द्वारा जुलूस का भव्य स्वागत किया गया। इसी क्रम में बड़ा बाजार ग्वाल टोली चौक पर भी सरहुल जुलूस का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस मौके पर जुलूस में शामिल लोगों के लिए कोल्ड ड्रिंक एवं ठंडे पानी की व्यवस्था की गई, जिससे इस तपती गर्मी में श्रद्धालुओं को राहत मिली।
सरहुल पर्व के दौरान आदिवासी समाज के लोग अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। पुरुष पगड़ी, धोती और गमछा पहने हुए थे, जबकि महिलाएं सफेद और लाल रंग की साड़ियां पहने हुई थीं। इस जुलूस में हजारों की संख्या में पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चियां भी शामिल हुईं।
स्थानीय लोगों का कहना था कि सरहुल सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और भाईचारे का संदेश देने वाला उत्सव है। यह पर्व जल, जंगल और जमीन की महत्ता को दर्शाता है। इसी को देखते हुए हर वर्ष शहर में बड़े ही धूमधाम से सरहुल जुलूस निकाला जाता है।
इस मौके पर वार्ड पार्षद प्रतिनिधि सह समाजसेवी अविनाश यादव, बबलू यादव, जीतू यादव, कुणाल यादव, डब्लू कुमार, सुधीर तिवारी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया और जलपान वितरण कर पुण्य कार्य में सहभागिता निभाई।