सनातन धर्म का बडा पुरातात्विक खजाना दैहर में,



उमा महेश्वर, बिष्णु, गणेश, सुर्य की हजारों साल पूर्व की प्रतिमायें हैं सुरक्षित,
आस्था का बडा केंद्र है कमला माता मंदिर,
हजारीबाग दैहर में सनातन देवी देवताओं की अदभुत मुर्तियाँ हैं। सारी मुर्तियाँ बेहद प्राचीन हैं। इतिहास कार इसे सातवीं आठवीं शताब्दी के होने का दावा करते हैं। सभी मुर्तियाँ हजारों साल पूराने होने के बावजूद काफी जीवंत हैं। इन्हें काफी अच्छे से सहेज कर रखा गया है। ग्रामीण काफी भक्ति भाव से हर दिन पूजा अर्चना करते हैं।
मुर्तिकला निर्माण तथा स्थापत्य कला के ऐसे लगभग एक दर्जन से अधिक प्रतिमायें भारत की गौरवशाली अतीत तथा इस क्षेत्र के पौराणिक होने के बड़े प्रमाण के साथ आज भी दैहर के कमला माता मंदिर में 1950 से स्थापित किया गया था। सभी मुर्तियाँ उस समय ग्रामीणों के उत्खनन में बरामद हुआ था।
ग्रामीणों ने खुदाई में सौ से अधिक मुर्तियाँ बरामद की थी। इनमें से कई खंडित मिले, कुछ की देखरेख के अभाव में चोरी हो गई। सारी प्रतिमायें लगभग दो से ढाई फीट की तथा काले पत्थर की हैं। इनमें सबसे अधिक भगवान बिष्णु की प्रतिमा अलग अलग मुद्रा में हैं। वहीं आदि देव भगवान भाष्कर की बेहद आकर्षक मुर्ति है। गजानन का चार हाथों का नृत्य के भाव में प्रतिमा है। उमा महेश्वर की प्रतिमा रोचक प्राचीन इतिहास का धोतक है। ग्रामीण काफी भाव से देखभाल कर रहे हैं। आरंभ में मिट्टी के मंदिर में सभी को स्थापित किया गया। बाद के सालों में मंदिर का निर्माण बेहतर किया गया। छ साल पूर्व कमला माता मंदिर परिसर का सुंदरीकरण तत्कालीन विधायक मनोज यादव के अनुशंसा पर किया गया। आज यह पूरा परिसर बेहद आकर्षक तथा सुंदर रुप से स्थापित है। मंदिर के प्रति लोगों में आस्था अदभुत है। हर ग्रामीण छोटे बड़े आयोजन में मत्था टेककर शुरुआत करते हैं। परिसर में बेहद भव्य दुर्गापूजा का आयोजन होता है जिसमें पूरे नौ दिनों तक राष्ट्र स्तर के प्रवक्ता भगवत पाठ करते हैं। इसमें क्षेत्र के तमाम राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा लेते हैं।
इसी प्रकार सोहरा में भी लगभग तीन फीट की देवी की दो अदभुत सुंदर प्रतिमायें हैं। ग्रामीण मंदिर में स्थापित कर रखे है। अब पूराने मंदिर के भवन को हटाकर बडा और भव्य मंदिर बना रहे हैं। अभी भी तालाब तथा मिट्टी से विभिन्न मुर्तियाँ गणेश व अन्य की बरामद हुई है।
मानगढ में भी विभिन्न हिंदू देवी देवताओं के अति प्राचीन मुर्तियाँ खेतों से बरामद की गई। सभी को मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा बौद्ध धर्म की मुर्तियाँ भगवान् बुद्ध व अन्य देवी का बरामद हुआ जिन्हें साथ रखकर ग्रामीण आजभी काफी श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना करते हैं।
बरामद सारी मुर्तियाँ इस बात का प्रतीक है कि कालांतर में यह पूरा क्षेत्र सनातन और बौद्ध धर्म के गहरे प्रभाव में था। इतिहास के परत के सार्वजनिक होने के साथ तथा शोध के बाद पूरा इलाका पर्यटन का बडा केंद्र बन सकता है।