जनप्रतिनिधि, ग्रामीण और राजपरिवार—सभी प्रशासन की अगली कार्रवाई की कर रहे इंतजार
दीवार विवाद—किसकी जीत, किसकी हार?
फैसला तो प्रशासन करेगी, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि इस विवाद की जड़ क्या है।क्या यह राजनीतिक मामला है, या ग्रामीण अपनी ज़रूरतों और अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं?
हम बात कर रहे हैं पदमा प्रखंड स्थित राजा किला लक्ष्मी निवास पैलेस के उस रास्ते की, जिसे सौ वर्ष पूर्व सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद कर दिया गया था। यह रास्ता केवल दुर्गा पूजा के दौरान खोला जाता था, ताकि लोग पूजा में शामिल हो सकें। इसके बाद इसे फिर से बंद कर दिया जाता था।
समय के साथ पदमा प्रखंड का विकास हुआ, ग्रामीणों की आवश्यकताएँ बढ़ीं, और यातायात दबाव बढ़ने लगा। स्थानीय लोगों को संकरी सड़क और लगातार हो रही दुर्घटनाओं की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इस संबंध में पदमा मुखिया ने पदमा सीओ को ज्ञापन सौंपा और बंद पड़े इस रास्ते को फिर से खोलने का अनुरोध किया।
लेकिन, जब प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों के सहयोग से पदमा मुखिया ने वर्षों से बंद पड़े इस रास्ते को तुड़वा दिया। इसकी जानकारी मिलते ही पदमा राजा के पोते और हजारीबाग के पूर्व विधायक सौरभ नारायण सिंह ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। मामला तूल पकड़ते ही पदमा पुलिस ने जेसीबी मालिक समेत तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया, जिससे विवाद और गहरा गया।
प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
अब सवाल यह है कि प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाएगी ?
ग्रामीणों का दावा है कि यह एक आम रास्ता है और इसे सभी के लिए खोला जाना चाहिए, ताकि लोगों को आवागमन में परेशानी न हो और दुर्घटनाओं में कमी आए। किन्तु राजपरिवार इसे अपनी निजी संपत्ति बता रहे हैं।
स्थिति तनावपूर्ण है, दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ खड़े हैं। प्रशासन को एक संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लेना होगा, ताकि कानून व्यवस्था भी बनी रहे और जनता की जरूरतें भी पूरी हों। अब देखना यह है कि इस विवाद का समाधान कैसे निकलता है—क्या ग्रामीणों की माँग पूरी होगी या राजपरिवार का दावा मजबूत साबित होगा?